तुलसी,

इस शब्द का ध्यान आते ही प्रत्येक हिंदू के मन में एक श्रद्धा उत्पन्न हो जाती है, भारत के अधिकांश घरों में इसका पौधा

पाया जाता है प्रत्येक दिन इसकी पूजा की जाती है, इस पूजनीय पौधे के अंदर तमाम तरह की बीमारियों से लड़ने की क्षमता

है हमारे आयुर्वेद ग्रंथों में भी इसका वर्णन मिलता है हमारे ऋषि-मुनियों को इसके औषधीय गुणों का ज्ञान था तभी तो दैनिक

जीवन में इसके प्रयोग का उल्लेख हमारे ग्रंथों में मिलता है

 तो आइए तुलसी के गुणों तुलसी का महत्व एवं इसके उपयोग की महत्ता पर थोड़ा विस्तार से जानते हैं


 तुलसी क्या है?


 तुलसी औषधीय गुणों से भरपूर एक पौधा है जिसमें विटामिन और खनिज प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है


 प्रायः सभी प्रकार के रोगों को दूर करने एवं शारीरिक क्षमता को बढ़ाने में इसका व्यापक उपयोग किया जाता है


हमारे ऋषि-मुनियों ने इसे धर्म के साथ जोड़कर इसे पूजनीय इसलिए बनाया था ताकि प्रत्येक मनुष्य इसका उपयोग कर


स्वस्थ रह सकें चरक संहिता एवं सुश्रुत संहिता में तुलसी का वर्णन विस्तार से किया गया है


तो उन्हीं मुख्य बातों का वर्णन हम यहां करने जा रहे हैं





 तुलसी की प्रजातियां


 मुख्यतः इस की 3 प्रजातियां है हरी तुलसी , सफेद तुलसी और कृष्ण तुलसी या काली तुलसी . हरी तुलसी या राम तुलसी


की अपेक्षा काली तुलसी या कृष्ण तुलसी में औषधीय गुण पाए जाते हैं


 तुलसी का वानस्पतिक नाम OCIMUM SANCTUM है और यह लामियसे कुल का पौधा है


 अन्य भाषाओं में इस के नाम इस प्रकार है


 हिंदी 👉👉 तुलसी वृंदा


अंग्रेजी 👉👉 BASIL

तमिल 👉👉 तुलसी


तेलुगु 👉👉 गग्गर चट्टू

ओड़िया 👉👉 तुलसी


कन्नड़ 👉👉 अरद तुलसी


गुजराती 👉👉 तुलसी


बंगाली 👉👉 तुलसी

नेपाली 👉👉 तुलसी


मराठी 👉👉 तुलस


मलयालम 👉👉 कृष्ण तुलसी


अरबी 👉👉 दोहस

 तुलसी की उत्पत्ति और उपलब्धता


हिंदू धर्म के धार्मिक कथाओं के अनुसार जब देव और दानव में युद्ध हुआ और उस युद्ध के दौरान जो समुद्र मंथन हुआ था


उस समय अमृत धरती पर गिरा और उसी के प्रभाव से तुलसी का जन्म हुआ


 यह दक्षिण पूर्व एशिया एशिया में एक खेती वाले पौधे के रूप में और भारतीय उपमहाद्वीप में व्यापक रूप से मूलनिवासी


पौधे के रूप में उपलब्ध है


 मल्टी टेक्नो मदन ब्लॉक के पाठको से अनुरोध है कि कृपया तुलसी के प्रयोग के पूर्व आप इसकी सावधानियों को जान ले


क्योंकि शास्त्रों में तुलसी को पूजनीय पवित्र और देवी के रूप में माना जाता है इसे हर हिंदू के घर में लगाने की परंपरा चली


आ रही है वैसे इसे लगाने से ना सिर्फ सुख शांति का वास होता है बल्कि वास्तु दोष भी ठीक रहता है लिहाजा अगर तुलसी


का पौधा अगर घर में हो तो आपको रविवार के दिन इन कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए


रविवार एकादशी सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण के समय तुलसी के पत्ते कभी भी नहीं तोड़ने चाहिए  विष्णु भक्त होने के कारण


रविवार को तुलसी उस की भक्ति में लीन रहती है उनकी भक्ति पूर्ण तपस्या भंग ना हो इसलिए रविवार को तुलसी पौधे के


गमले में पानी नहीं दिया जाता है


 रविवार को तुलसी पत्र का सेवन नहीं करना चाहिए


 तुलसी पत्र 11 दिनों तक बासी नहीं होते हैं अतः हर रोज इसे तोड़ने की आवश्यकता भी नहीं है इसकी पत्तियों पर हर रोज


जल छिड़क कर भगवान को अर्पित कर सकते हैं


 यदि घर में लगा हुआ तुलसी का पौधा सूख जाए तो उसे किसी नदी तालाब या कुएं में प्रवाहित कर देना चाहिए तुलसी का


सूखा पौधा घर में रखना शुभ माना जाता है इससे आर्थिक नुकसान की संभावना होती है


 घर एवं दुकान के उत्तर-पूर्व दिशा में तुलसी का पौधा का गमला रखने से वास्तु दोष और नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है


 तुलसी पौधे के पास जगह को सदा साफ सुथरा रखना चाहिए किसी अन्य तरह के पौधे को उसके गमले में नाना लगाए पौधे


के पास झाड़ू जूता चप्पल या घर साफ करने वाले ब्रश डस्टर वगैरह ना रखें इससे आपको आर्थिक परेशानी धनसंपदा की


हानि हो सकती है तुलसी पौधे में रात्रि वेला या संध्या वेला में जल नहीं डालना चाहिए


 तुलसी में दूध मिला जल देने से पौधे की उन्नति के साथ घर की उन्नति भी होती है


मल्टी टेक्नो मदन ब्लॉग के माध्यम से मैं यह जानकारी आपको उपलब्ध करा रहा हूं ताकि आप तुलसी के गुणों से भलीभांति


परिचित हो जाए तो आइए जानते हैं कि तुलसी के औषधीय गुण क्या क्या है और इसके क्या क्या लाभ हैं







 रोजाना तुलसी की पांच पत्तियां खाने से मौसमी बुखार व जुकाम जैसी समस्याएं दूर हो जाती है


 तुलसी की कुछ पत्तियां चबाने से मुंह का संक्रमण दूर हो जाता है मुंह के छाले दूर हो जाते हैं दांत स्वस्थ रहते हैं और मुंह


की दुर्गंध भी चली जाती है


 दाद खाज खुजली और त्वचा की अन्य समस्याओं में तुलसी अर्क और तुलसी पत्र बहुत ही प्रभावशाली है


 तुलसी के जड़ एवं पत्र का काढ़ा बुखार नाशक होता है तुलसी अदरक और मुलेठी को वोट कर शहद के साथ लेने से सर्दी


युक्त बुखार में आराम मिलता है


 मासिक धर्म के दौरान एक चम्मच तुलसी का रस रोज पीने से आराम मिलता है


 सिर का भारीपन सिर दर्द अधकपारी मिर्गी नासिका रोग में यह बहुत ही लाभकारी है







 तुलसी के नित्य सेवन से कृमि रोग समाप्त हो जाते हैं


 तुलसी का वास्तविक आर स्वास्थ संबंधी खांसी और मुंह दुर्गंध नाशक है का पर वायु  विकार का विशेष रूप से नष्ट


करती है






श्वास रोगों में तुलसी के पत्ते काले नमक के साथ चबाने से राहत मिलती है


 खांसी जुकाम होने पर तुलसी के पत्ते अदरक और काली मिर्च की चाय पीने से तुरंत लाभ मिलता है


 तुलसी दम्मा एवं टी बी में अत्यंत लाभकारी है तुलसी के नियमित सेवन से दमा टीबी नहीं होती है या बीमारी के कारक


जीवाणु को बढ़ने से रोकती है चरक संहिता में तुलसी को दमा की औषधि के रूप में वर्णन किया गया है





हल्के बुखार के साथ अगर कब्ज भी हो तो तुलसी का चूर्ण एवं गाय का शुद्ध घी बराबर मात्रा में मिलाकर थोड़ा गर्म पानी


गर्म कर ले और लगभग 10 ग्राम प्रति दिन के हिसाब से ले ज्वार एवं कब्ज दोनों मिट जाएंगे


 तुलसी ने  थाई मॉल तत्व पाया जाता है जो त्वचा रोगों में लाभकारी है, तुलसी के पत्तियों का रस एवं नींबू का रस


निकालकर, बराबर मात्रा में मिलाकर, लगाने से कि कील मुहांसे झाइयां झुर्रियां फोड़ा फुंसियां वगैरा त्वचा रोग ठीक हो


जाते हैं







 कुष्ठ रोग में तुलसी राम राम सा असर दिखाता है इसे लगाना और खाना दोनों चाहिए 


तुलसी का रस आंखों के दर्द , रतौंधी में काफी लाभदायक होता है क्योंकि तुलसी में विटामिन ए की मात्रा अधिक होती है


 आंखों की जलन तुलसी का अर्क दो बूंद रोजाना डालना चाहिए


 तुलसी किडनी को मजबूत बनाती है किडनी में अगर पथरी हो तो तुलसी को उबालकर इसमें शहद मिलाकर 6 महीने


लगातार सेवन किया जाए तो पथरी एवं मूत्र मार्ग से गल कर स्वता ही निकल जाएगी


 शीतकाल में तुलसी के 10 पत्ते पांच कालीमिर्च और चार बदाम गिरी सबको पीसकर आधा गिलास पानी में एक चम्मच


शहद मिलाकर पीने से हृदय रोग में काफी आराम मिलता है






 उच्च रक्तचाप या हाई ब्लड प्रेशर  ने तुलसी की पांच पत्तियां नीम की दो पत्ती के रस को चार चम्मच पानी में पीसकर


पांच 7 दिन खाली पेट में लगातार सेवन करने से रक्तचाप सामान्य हो जाता है


 दिमाग को मजबूत करती है तुलसी इसके रोजाना सेवन से मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ती है याददाश्त तेज हो जाती है


और याद किया गया  सभी कुछ बहुत दिनों तक याद रहता है


 सिर दर्द की समस्या से परेशान हैं तो तुलसी के तेल की एक दो बूंद बूंद नाक में डालें इससे पुराने से पुराना सिर दर्द


ठीक हो जाएगा






 अगर आपके बालों में जू या लिंक है तो रोजाना तुलसी के तेल की मात्रा व्यवहार करें समस्या से छुटकारा मिल जाएगा


 सर्दी जुकाम होने पर या मौसम बदलने पर गले में होने वाली खराश या गला बैठ जाने पर तुलसी जल का हल्का गर्म पानी


में कुल्ला करें या तुलसी जल हल्का गर्म लेकर सेंधा नमक और हल्दी मिलाकर कुल्ला करने से गले की खराश में काफी


आराममिलता है


 कुकुर खांसी होने पर तुलसी के संपूर्ण पौधे को 50 ग्राम की मात्रा में लें अदरक 25 ग्राम कालीमिर्च 15 ग्राम का काढ़ा नित्य


सेवन करें कुकुर खांसी से हमेशा के लिए निजात मिल जाएगी


 सूखी खांसी में तुलसी की मंजरी सोंठ प्याज का रस और शहद मिलाकर प्रतिदिन चाटे या प्रयोग में के लिए भी किया जा


सकता है




 डायरिया होने पर पेट मरोड़ की समस्या होने पर तुलसी की 10 15 पत्तियों में 1 ग्राम जीरा पीसकर शहद मिलाकर सेवन


करें बहुत आराम मिलेगा


 अपच की शिकायत में तुलसी की मंजरी 2 ग्राम को काले नमक के साथ पीसकर प्रतिदिन तीन चार बार सेवन करें


 मूत्र में जलन होने पर तुलसी के बीज जीरा मिश्री का चूर्ण दूध के साथ लेने पर मूत्र विकार समाप्त होता है


 पीलिया या जॉन्डिस होने पर तुलसी के पौधे 2 ग्राम को छाछ में मिलाकर पीने से पीलिया में लाभ मिलता है इसके अलावा


मरीज को तुलसी काढ़ा प्रतिदिन सेवन करना चाहिए

 

 नपुंसकता में लाभकारी तुलसी बीज चूर्ण 3 ग्राम गुड़ 3 ग्राम गाय का दूध एक सौ ग्राम लगातार चार या 6 सप्ताह तक सेवन


करने से नपुंसकता दूर हो जाती है





 सफेद दाग होने पर तुलसी पत्र स्वरस एक भाग नींबू का रस एक भाग कसम दी पत्र पर एक भाग एक तांबे के बर्तन में


डालकर 24 घंटे के लिए धूप में रख दे गोल गाढ़ा होने पर इसे दाग के स्थान पर प्रतिदिन लगाएं त्वचा का रंग अपने आप पूर्व


रूप में रुप में आ जाएगा


 मलेरिया में लाभप्रद तुलसी का पौधा मलेरिया प्रतिरोधी होता है तुलसी के पौधे से होकर बहने वाली हवा से ऐसा प्रभाव


उत्पन्न होता है कि मलेरिया के मच्छर वहां ठीक ही नहीं पाते तुलसी पत्र का काढ़ा बनाकर पीने से मलेरिया में लाभ मिलता है

 टाइफाइड होने पर तुलसी अर्क या 20 तुलसी पत्र और 10 काली मिर्च का काला दिन में दो तीन बार सेवन करना चाहिए


 चिकनगुनिया के उपचार में भी तुलसी अत्यंत लाभकारी है


उपरोक्त सभी जानकारियां गूगल के विभिन्न स्त्रोतों से ली गई हैं


 तो इस तरह मित्रों आपने तुलसी के बहुत से गुणों को देखा इसके अलावा भी तुलसी के अन्य बहुत से गुण हैं जिनका वर्णन


करना यहां पर संभव नहीं है क्योंकि ब्लॉक काफी लंबा हो चुका है


 उम्मीद है कि आप इस ब्लॉग को पढ़कर काफी कुछ जानकारी हासिल किए होंगे और इनसे लाभ उठाने का चेष्टा करेंगे


 डिस्क्लेमर


 मल्टी टेक्नो मदन ब्लॉग मैं यह जानकारी आपके जानकारी की वृद्धि के लिए दी गई है यह ब्लॉग किसी भी प्रकार की चिकित्सा या चिकित्सीय परामर्श नहीं देता है इसलिए सभी पाठकों से अनुरोध है कि किसी भी प्रयोग को करने से पहले कृपया अपने डॉक्टर या किसी हर्बल विशेषज्ञ से परामर्श कर ले क्योंकि यह ब्लॉग किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य हानि का दायित्व नहीं लेता है पाठक अपने विवेक के अनुसार या डॉक्टर कोमा हर्बल विशेषज्ञ की परामर्श के अनुसार प्रयोग करें किसी भी प्रकार का दायित्व हम वह नहीं करते हैं यह पूर्ण रूप से पाठक के ऊपर निर्भर करता है और इसका दायित्व भी उन्हीं के ऊपर  होता है 


ऊपर ब्लॉक में दी गई जानकारी आपको कैसी लगी कृपया मुझे कमेंट करके अवश्य बताएं


 धन्यवाद