गिलोय, / GILOY




गिलोय के बारे में जितनी भी जानकारी आम लोगों को है शायद इतनी जानकारी समुचित रूप से पर्याप्त नहीं है

गिलोय एक ऐसी औषधीय पौधा है जिसका उपयोग करने से लाभ ही लाभ है

आज मैं गिलोय के संबंध में उपलब्ध अधिकांशतः जानकारी अपने MULTI TECHNO MADAN BLOG के माध्यम से

देने का प्रयास कर रहा हूं ,,,

तो ,आइए महा औषधि पौधा गिलोय के बारे में जानते हैं

जिसका जिक्र आयुर्वेद में रसायन के रूप में किया गया है

गिलोय के पत्ते कड़वे तीखे और कसैले होते हैं गिलोय कभी ना सूखने वाली एक लता युक्त पौधा होता है




इस पर पीले हरे फूलों के गुच्छे होते हैं इसके पत्ते पान के पत्ते के आकार के होते हैं और फल मटर के दाने की तरह और

लाल लाल होते हैं

इसकी तना जिस पेड़ पर आच्छादित होती है उस पेड़ के गुण इसके पत्ते और फल में भी आ जाती है

शायद इसीलिए नीम के पेड़ पर चढ़े गिलोय की लता को सर्वोत्तम माना गया है

गिलोय में विभिन्न प्रकार के फाइटोकेमिकल्स होते हैं

अलकलाईड , फाइटोस्ट्रोल ,ग्लाइकोसाइड इत्यादि इसके योगिक है





महत्वपूर्ण बात यह है कि भारतीय स्वास्थ्य और कल्याण मंत्रालय ने हल्के कोविड-19 {COVID --19} में गिलोय घनवटी के

सेवन की सलाह दी है ,

इसे भी देखें --: करेला के अद्भुत फायदे

https://madantechno.blogspot.com/2020/12/blog-post.html

गिलोय की उपलब्धता और प्रजातियां

उष्णकटिबंधीय क्षेत्र विशेषकर भारतीय महाद्वीप में सुगमता से उपलब्ध है

वैसे तो गिलोय का वैज्ञानिक नाम टीनोस्पोरा कोर्डीफोलिया { TINASPORA CORDYFOLIA } है और इसकी और 2

प्रजातियां हैं

जिसे टीनोस्पोरा कृपा और साइंसेस भी कहा जाता है




अन्य भाषाओं में नाम

हिंदी में 👉 गिलोय गुडूची अमृत अमृतवल्ली

अंग्रेजी में 👉 इंडियन टीनोस्पोरा , मूनसीड्स

बंगाली में 👉 गिलोय ,गुंचा ,गुलंचा ,पालो गंधा , पालो गांधा

संस्कृत में 👉 वत्वसदनी ,छिन्दनरुहा ,तत्नीरिका म, मधुपरनी , गुडुची , अरण्य वकली

उड़िया में 👉 गुंचा , गुलंचा , गुलोची

कन्नड़ में 👉 अमृत वर्ली , अरवल्ली , युगानिवाल्ली , मधुपरनी

गुजराती में 👉 गुलवेल , गालों

गोवा में 👉 अरंड वेल

तमिल में 👉 अमरिद वल्ली , शिन्दिल कोडी

तेलुगु में 👉 तिप्प तिगे

नेपाली में 👉 गुरजो

पंजाबी में 👉 गिल्गुलरीच, गाधम, पालो

मराठी में 👉 गुलवेल अमरबेल

मलयालम में 👉 अरणु , पैय्या मृतम , चित्तम्रुतु

अरबी में 👉 गिलो

फारसी में 👉 गुलवेल , गिलोय




 गिलोय के फायदे और इसके उपयोग की विधि -;


 ऐसा कहा सुना जाता है कि अगर नीम चढ़े गिलोय के पत्ते के जूस को व्यवहार करने से डायबिटीज में अचूक लाभ होता है


ब्लड शुगर लेवल सामान्य हो जाता है और लगातार सेवन से इस बीमारी से मुक्ति भी मिल जाती है


 गिलोय के रस 20 मिलीलीटर रस में 10 मिलीलीटर शहद मिलाकर दिन में दो बार पीने से डायबिटीज में अद्भुत लाभ


मिलता है


 1 ग्राम गिलोय के अर्क में 3 ग्राम शहद मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से डायबिटीज में प्रचुर लाभ मिलता है


 10 मिलीलीटर गिलोय जूस प्रतिदिन दो बार पीने से ब्लड शुगर लेवल सामान्य हो जाता है







 लीवर की समस्या में -;


 20 ग्राम गिलोय , 2 ग्राम छोटी पीपल, 2 ग्राम अजमोद को लेकर ,पीसकर ,100 ग्राम पानी में मिट्टी के बर्तन में रात भर


रख दें 30 दिन तक इस प्रकार का जल पीने से लीवर , पेट और अनपच की समस्या से छुटकारा मिल जाता है


 पीलिया या जॉन्डिस की समस्या में -;


 गिलोय के 20 /30 मिलीलीटर काढ़ा में दो चम्मच शहद मिलाकर दिन में तीन चार बार पीने से पीलिया रोग में लाभ होता है


गिलोय के 15/20 पत्तों को पीसकर छाछ में मिलाकर प्रत्येक सुबह पीने से पीलिया रोगी को लाभ मिलता है


 मूत्र रोग में लाभकारी -;


 गिलोय के 15 मिलीलीटर रस में 2 ग्राम पाषाणभेद चूर्ण और एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में तीन चार बार सेवन करने


से रुक रुक कर बार-बार मूत्र होने का दोष का निवारण हो जाता है






 गठिया या अर्थराइटिस में लाभकारी -;


 गिलोय के 5 से 10 मिलीलीटर रस में या 3 से 6 ग्राम चूर्ण में या 10 से 20 ग्राम ले पिया 25 से 30 मिलीलीटर काढ़ा को


प्रतिदिन सेवन करने से गठिया में लाभ मिलता है


 जोड़ों के दर्द में इसे सोंठ या अदरक के रस के साथ सेवन करना चाहिए


 फाइलेरिया होने पर 15 20 मिलीलीटर गिलोय रस में बराबर मात्रा में सरसों तेल मिलाकर खाली पेट सुबह-शाम सेवन


करने से फायदा होता है


 कुष्ठ रोगियों को गिलोय का रस का सेवन प्रतिदिन तीन चार बार लगातार छह महीने तक करना चाहिए मात्रा --10 से 20


मिलीलीटर -- प्रति बार सेवन करने से अवश्य लाभ होगा


 बुखार होने पर --;;

गिलोय की मात्रा 40 ग्राम


पानी की मात्रा ढाई सौ ग्राम


पीने की मात्रा 20 मिलीलीटर


रात भर मिट्टी के बर्तन में रखकर प्रतिदिन तीन चार बार पीने से पुराना से पुराना बुखार ठीक हो जाता है


 पित्त विकार के कारण होने वाले बुखार में गिलोय में मिश्री मिलाकर सेवन करना चाहिए


 गिलोय का पेस्ट बनाकर गाय के घी में पकाकर सेवन करने से पुराना बुखार ठीक होता है


 एसिडिटी या अम्ल दोष में --;;


गिलोय का रस 20 30 मिली लीटर गुड मिश्री के साथ सेवन करने से एसिडिटी में राहत मिलता है


 गिलोय का काढ़ा 20 30 मिलीलीटर दो चम्मच शहद के साथ सेवन करने से एसिडिटी ठीक होता है


 कब्ज़ होने पर गिलोय का सेवन मधु के साथ करना चाहिए कब्ज़ को समाप्त करने का इससे बढ़िया कोई उपाय नहीं


होता है


 कैंसर में उपयोगी --;;


 गिलोय का रस और व्हीटग्रास जूस का प्रयोग ब्लड कैंसर के मरीजों पर अच्छा असर दिखाता है


 स्वामी बाबा रामदेव बाबा के पतंजलि आश्रम में इस विधि को अपनाकर ब्लड कैंसर रोगियों का उपचार किया जाता है


जिसका परिणाम अत्यधिक उत्साह पूर्ण रहा है


 कब्ज दूर करने में सहायक


 गिलोय रस 20 / 30 मिलीलीटर गुड़ के साथ सेवन करने से कब्ज दूर होता है


 सोंठ , मोथा, गिलोय को बराबर मात्रा में मिलाकर काढ़ा बना लें और प्रतिदिन 2 बार 20 30 मिलीलीटर सेवन करें कब्ज


की समस्या नहीं रहेगी


 टीवी या राज्यक्षमा रोग में गिलोय का सेवन करने से अद्भुत लाभ देखा गया है


 कान की दर्द में गिलोय के डंठल को पीसकर हल्का गर्म पानी में डालकर दो-तीन बूंद कान में डालने से कान दर्द में


लाभ होता है इसे प्रतिदिन दो बार डालने से अच्छा परिणाम देखा गया है


इसे भी पढ़े --एलो वेरा के फायदे और नुकसान 😀 😂


https://madantechno.blogspot.com/2020/12/aloe-vera.html


हिचकी होने पर


गिलोय और सोंठ के चूर्ण को नसवार की तरह सुनने से हिचकी बंद होती है गिलोय चूर्ण और सोंठ के चूर्ण की चटनी बना ले


दूध सहित पिलाने से भी हिचकी आना बंद हो जाता है


गिलोय के सेवन करने से उल्टी बंद हो जाती है एसिडिटी के कारण उल्टी हो तो 10 मिलीलीटर गिलोय रस में चार 6 ग्राम


मिश्री मिला लें यह सुबह और शाम पीने से उल्टी बंद हो जाती है

कब्ज का इलाज


गिलोय के रस 20 मिलीलीटर रस के साथ गुड़ का सेवन करने से कब्ज में फायदा होता है


बवासीर का उपचार


हर गिलोय और धनिया तीनों को बराबर मात्रा में मिला लें और आधा लीटर पानी में पका लें जब एक चौथाई रह जाए तो


खोला कर गाढ़ा कर लें इस काला को 20 ग्राम सुबह 20 ग्राम शाम को पीने से बवासीर की बीमारी में लाभ होता है

गिलोय के साइड इफेक्ट


 गिलोय शुगर लेवल को कम करता है इसलिए जिन्हें थोड़ा-बहुत शुगर लेवल बढ़ा हुआ हो वे गिलोय का सेवन कम मात्रा में


करें ,गिलोय का सेवन करने के पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य ले लें


इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान इसका सेवन नहीं करना चाहिए


सौजन्य -;


आचार्य बालकृष्ण

पतंजलि आश्रम , हरिद्वार


Disclaimer-;; 💯


उपरोक्त सभी विधियों की जानकारी आपके ज्ञान बृद्धि के लिए दी गयी है ,मेरा MULTI TECHNO MADAN BLOG


किसी की चिकित्सा नहीं करता है न ही कोई चिकित्सा परामर्श देता है किसी भी विधि का प्रयोग करने से पहले किसी


डॉक्टर या हर्बल विशेषज्ञ की सलाह अवश्य ले लें ,हमारा काम जानकारी देना है , चिकित्सा का दायित्वा पाठक के अपने


विवेक के ऊपर निर्भर करता है ,और पूरा दायित्वा भी पाठक का है



MULTI TECHNO MADAN BLOG पर यह जानकारी आपको कैसी लगी ,अवश्य सूचित करें , कोमेंट की इंतजार


करूँगा


इन्हें भी आजमायें --::


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